गुरुवार, 10 सितंबर 2009

बाढ़ के बीच सूखे का अध्ययन



सरकारें किस तरह काम करती हैं यह इन दिनों देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार सूखे के अध्ययन के लिए विभिन्न राज्यों में अध्ययन दल ड्डभेज रहा है तो राज्य सरकारें अपने ज्यादा से ज्यादा जिलों को सूखे में शामिल करने में जुटे हैं। दोनों ही सरकारें यह तैयारी बारिश की समाप्ति का इंतजार किए बिना करने लगी हैं। अब हालात यह है कि राज्यों में जहां बाढ़ के नजारे दिखाई दे रहें तो वहीं केंद्र सरकार के सूखा अध्ययन उसमें सूखा प्रभावित क्षेत्र की तलाश कर रहे हैं।
बाढ़ के बीच सूखे का अध्ययन
सरकारें किस तरह काम करती हैं यह इन दिनों देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार सूखे के अध्ययन के लिए विभिन्न राज्यों में अध्ययन दल भेज रहा है तो राज्य सरकारें अपने ज्यादा से ज्यादा जिलों को सूखे में शामिल करने में जुटे हैं। दोनों ही सरकारें यह तैयारी बारिश की समाप्ति का इंतजार किए बिना करने लगी हैं। अब हालात यह है कि राज्यों में जहां बाढ़ के नजारे दिखाई दे रहें तो वहीं केंद्र सरकार के सूखा अध्ययन उसमें सूखा प्रभावित क्षेत्र की तलाश कर रहे हैं।
क्या यह फिजूलखर्ची नहीं है? जहां सरकारें मंत्रियों को फाइव स्टार होटलों में ठहरने से रोक रही हैं। पेट्रोल-डीजल की बचत करने को कह रही हैं और कहीं सरकारें अफसर-मंत्रियों को एसी चलाने पर पाबंदी लगा रही हैं। वहीं केंद्रीय अध्ययन बाढग़्रस्त प्रदेशों में इस तरह दौरे कर रहा है। क्या यह फिजूलखर्ची नहीं है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
- रवींद्र कैलासिया

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