मंगलवार, 28 जुलाई 2009

भ्रष्टाचार केवल नाम बदलने से खत्म हो जाएगा?


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कहते हैं कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) जैसा काम करना चाहिए वैसे नहीं कर रहा है उसका नाम बदलकर एंट्री करप्शन ब्यूरो करने का विचार है। मगर मुख्यमंत्रीजी क्या केवल नाम बदलने से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा या काबू में आ जाएगा। नहीं उसके लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति चाहिए। जब पूरे प्रदेश में यह चर्चा है कि जिलों में प्रशासन और पुलिस आदि पदों की नीलामी होने लगी है तो भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अंदर इच्छा भी होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने ईओडब्ल्यू के काम से असंतुष्टि भोपाल के पहले मेट्रो थाने (हबीबगंज) के उदघाटन के मौके पर व्यक्त की। उनकी यह व्यथा शायद भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली राज्य की स्वतंत्र इकाई लोकायुक्त को लेकर ज्यादा लगती है। लोकायुक्त में राज्य मंत्रिमंडल के करीब एक दर्जन सदस्यों सहित कई अधिकारियों की शिकायतें लंबित हैं। खुद मुख्यमंत्री के खिलाफ भी एक अपराधिक प्रकरण लोकायुक्त में दर्ज है। उसे कमजोर करने के लिए मुख्यमंत्री की यह पहल ज्यादा लगती है। हालांकि अभी तक उन्होंने इसके पूर्व ऐसी बात जुबान पर नहीं लाई थी। पूर्व लोकायुक्त रिपुसूदन दयाल के जाने के एक महीने बाद श्री चौहान की ईओडब्ल्यू को भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने की इकाई बनाने की बात सार्वजनिक तौर पर कहने का यह पहला मौका है।
इसके पीछे मूल वजह यह है कि ईओडब्ल्यू का नियंत्रण राज्य सरकार के पास रहता है। उसका राजनीतिक इस्तेमाल बहुत आसानी हो सकता है। जबकि लोकायुक्त संगठन की स्वायत्ता के कारण सरकार का उस पर बस नहीं चलता। वैसे राज्य सरकार ने वहां मुख्य लोकायुक्त का पद कायम करने का बहुत प्रयास किया मगर फैसला नहीं हो सका। ऐसा लोकायुक्त-उप लोकायुक्त अधिनियम के प्रावधानों की वजह से नहीं हो सका। इसमेंबदलाव के लिए सरकार को विधानसभा में संशोधन ले जाना पड़ेगा। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री को ईओडब्ल्यू का कामकाज पसंद नहीं आने का मुख्य कारण यही है भ्रष्टाचार की जांच करने वाली स्वतंत्र एजेंसी लोकायुक्त को कमजोर किया जा सके।
- रवींद्र कैलासिया

1 टिप्पणी:

  1. सभी लोग जनता की सेवा के लिये गठित संगठन को अपने जेब में रखना चाहते हैं, जिससे उससे जैसा चाहे वैसा कार्य करवाया जा सके।

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