शनिवार, 4 जुलाई 2009

मप्र में मंत्रियों की अपनों बदसलूकी, जनता से क्या करेंगे?


मप्र सरकार के मंत्रियों के मुंह में लगाम नहीं है। ये लोग अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं सहित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ भी बदसलूकी करन से बाज नहीं आ रहे तो आम जनता की क्या सुनवाई करेंगे।

खाद्य, नागरिक और आपूर्ति राज्यमंत्री पारस जैन ने नीमच की बंद पड़ी मंडी को खुलवाने की मांग कर रहे किसानों से मिलना तो दूर अफसरों से कह दिया कि मंडी बंद कर दो किसान खुद भीख मांगने आएंगे।पारस जैन नीमच जिले के प्रभारी मंत्री हैं और नीमच की बंद मंडी को खुलवाने के लिए वहां भारतीय किसान संघ (आरएसएस का आनुषांगिक संगठन) काफी दिनों से मांग कर रहा है। गुरुवार को मंत्री को किसानों ने मंडी को लेकर ज्ञापन देना चाहा तो उनका बर्ताव देखकर किसान संघ उत्तेजित हो गया। संघ के नेताओं ने मंत्री का निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया और उनके त्यागपत्र की मांग कर डाली है।

गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा सरकार के एक और मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने सतना के जिला केंद्रीय सहकारी बैंक अध्यक्ष कमलाकर चतुर्वेदी (भाजपा के जिले के वरिष्ठ नेता हैं) को राज्य मंत्रालय में सरेआम (मुख्यमंत्री की बैठक के बाद) अपशब्द कहे थे। इसको लेकर संगठन के दिग्गजों ने दोनों की मीटिंग कराई थी। इन उदाहरणों को देखने और सुनने के बाद लगता है कि प्रदेश की आम जनता को मंत्रियों से दूर रहना चाहिए। नहीं तो उनके साथ तो मंत्री जाने क्या करेंगे। उनकी सुनवाई तो कहीं होगी भी नहीं।

- रवींद्र कैलासिया

2 टिप्‍पणियां:

  1. यह द्वंद तो देखने को मिलेगा। वस्तुतः सरकार जनता के लिए काम नहीं करती वह जनता के लिए काम करने का दिखावा करती है। वास्तव में तो वह धनपतियों की सेवक है। चाहे किसी दल की क्यों न हो।

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  2. इन मंत्रियों का इलाज तो जनता ही ... पूजा करके कर सकती है।

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