शनिवार, 4 जुलाई 2009

सरकारी अस्पताल में मोमबत्ती में प्रसव

एक सप्ताह पहले भोपाल शहर के एक सरकारी अस्पताल में छह गर्भवती महिलाओं की एक के बाद एक मौत होने की घटना के बाद भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ है। सप्ताह भर बाद शनिवार को अचानक बिजली गुल हो गई और एक अन्य अस्पताल में गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। फिर मोमबत्ती की रोशनी में सरकारी डॉक्टर ने उस महिला का इलाज किया और प्रसव कराया।
सप्ताह भर पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज के महिला अस्पताल में चिकित्सकों की कथित लापरवाही से गर्भवती महिलाओं की मौत पर अधीक्षक डा। नीरज बेदी को आनन-फानन में हटा दिया गया था। इन मौतों के बाद महिला आयोग से लेकर राज्य शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के दो आला अफसरों ने तुरंत निरीक्षण किया था। वहां उन्होंने डॉक्टरों की लापरवाही तो देखी मगर सुविधाओं पर गौर नहीं किया। मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जिस तरह खामियां बताकर इस मेडिकल कॉलेज को बार-बार चेतावनी दी जाती रही है। उन खामियों को आज तक दूर नहीं किया गया। शनिवार को राजधानी का जिला अस्पताल बारिश और तेज हवा के कारण बिजली गुल होने पर अंधेरे में डूब गया। जनरेटर चालू नहीं होने पर डॉक्टरों ने गर्भवती महिला का मोमबत्ती की रोशनी में इलाज किया। यह जनरेटर बार-बार बंद हो रहा था। क्या सरकारी डॉक्टरों के विपरीत परिस्थितियों में भी इस सेवाभाव को नजरअंदाज किया जा सकता है? अब उन अफसरों या जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई एक्शन होगा जो छोटी-मोटी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सरकारी अस्पताल जैसे संवेदनशील सार्वजनिक स्थान अंधेरे में डूब गया? क्या ऐसे में कोई बड़ा हादसा हो जाने पर लोगों की जान को खतरा पैदा नहीं हो सका?
- रवींद्र कैलासिया

1 टिप्पणी:

  1. भैये
    जब यज्ञ से वर्षा हो सकती है तो रामलीला पार्टी के शासन में प्रभु कृपा से क्या नहीं हो सकता ! अभी तो असपताल जाने से पहले ज्योतिषियों के पास जाकर उनकी रिपोर्ट लाना अनिवार्य होने वाला है

    जवाब देंहटाएं

फ़ॉलोअर