गुरुवार, 18 जून 2009

हम हैं यहां के राजकुमार...


कांग्रेस ने यह फैसला ले लिया है कि उनका कोई भी नेता श्रीमंत, राजा, रानी, महाराजा, महारानी, कुंवर साहब, युवराज, राजकुमार, राजकुमारी साहिबा नहीं पुकारा जाएगा या अपने नाम के साथ इनका उपयोग करेगा। मतलब साफ है देश में 60 साल पहले जो राज परिवार थे उनके सदस्यों में आज भी कहीं न कहीं सामंती मानसिकता हावी है। उन्हें राजा, महाराजा जैसे विशेषण कर्णप्रिय लगते हैं। क्षेत्र के दौरे पर जाने पर सुबह जब सर्किट हाउस में उठते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है कि दरवाजे पर खड़ा लोगों का समूह पुकारे महाराज दर्शन दो। पहले वे छोटी रियासत या छोटे सीमित क्षेत्र में शासन करने वाले घरानों पर राज करते थे अब वे पूरे देश-प्रदेश पर अप्रत्यक्ष तौर पर राज कर रहे हैं।
कांग्रेस की यह पहल नेहरू-गांधी परिवार की परंपरा है। जवाहरलाल नेहरू ने जिस तरह प्रधानमंत्री बनने पर छोटी-छोटी रियासतों को मिलाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल का उपयोग किया था उससे एक कदम आगे इंदिरा गांधी ने पूर्व राजे-महाराजे को मिलने वाला प्रिवीपर्स बंद कर दिया था। अब सोनिया गांधी उन्हें उनके कर्णप्रिय और नाम के साथ लिखे जाने वाले सामंती विशेषणों से दूर करने जा रही हैं। क्या इससे राजे-रजवाड़ों के परिवारो के लोगों की मानसिकता भी बदल जाएगी? क्या ये लोग इसके बाद भी आम आदमी से पैर छूने बंद करा पाएंगे? क्या दिल से ये लोग गरीब, निचली जाति के लोगों को गले लगाकर उसकी पीड़ा जानेंगे? नहीं, क्योंकि इसके लिए दबाव नहीं बल्कि उन्हें आत्मप्रेरित करना चाहिए। वे स्वयं बैठक कर यह निर्णय लें कि हम ऐसा करेंगे।
हालांकि कांग्रेस की यह कोशिश बहुत अच्छी है मगर अकेले कांग्रेस में यह फैसला हो जाने से राजे-रजवाड़ों के लोगों की मानसिकता को बदला नहीं जा सकता। भाजपा और दूसरे दलों को भी इस दिशा में फैसला लेना चाहिए। इसके बाद भारत सरकार राजपत्र में इसका प्रकाशन करे। अन्यथा कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान जैसे राज्य एक बार यह फैसला ले लेंगे तो मप्र जैसे राज्य राजे-रजवाड़ों को बढ़ावा देते हुए श्रीमंत जैसे शब्दों के इस्तेमाल की खुलेआम अधिसूचना जारी करते रहेंगे। - रवींद्र कैलासिया

3 टिप्‍पणियां:

  1. ये सब केवल जनता को मूर्ख बनाने की बातें हैं इन राजनैतिक पार्टियों की, खैर अब गांधी परिवार के आगे इन राज परिवारों की क्या बिसात ..

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  2. जी हाँ कांग्रेस में अब सिर्फ एक ही महारानी होंगी.............

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  3. लगता है पत्रकारों??? की नयी पीढी आलोचना से डरती है इसीलिए हर पत्रकार के ब्लॉग पर कमेन्ट माडरेशन लगा हुआ है.......

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