गुरुवार, 11 जून 2009

हॉकी के बाद अब गिल खेलों के पीछे

भारतीय हॉकी फेडरेशन के निलंबित अध्यक्ष केपीएस गिल हॉकी के बाद अब भारत में खेले जाने वाले सभी खेलों के पीछे पडऩे जा रहे हैं। उन्हें हॉकी दुर्दशा दोषी माना जाता रहा है लेकिन शायद उन्हें इतने से संतोष नहीं है।
श्री गिल ने एक समाचार पत्र को बयान दिया है कि वे इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के समानांतर एसोसिएशन खड़ी करेंगे। उनके मत के मुताबिक वे भारत में खेलों की दशा से बेहद चिंतित हैं। इसके लिए वे जून को सभी राज्यों की हॉकी एसोसिएशन की बैठक बुलाने जा रहे हैं। राज्यों की एसोसिएशन मं अपने कार्यकाल में बैठाए पदाधिकारियों से अपने साथ लेने की कोशिश करने जा रहे हैं। देखना यह है कि उन्हें गुरङ ु दीक्षा देने के लिए कितने राज्यों के पदाधिकारी आगे आते हैं।
श्री गिल का कहना है कि वैसे तो यह बैठक हॉकी दुर्दुशा पर चिंता के तहत बुलाई गई है और इससे हॉकी को ऊबारने के लिए बातचीत होगी मगर देश में दूसरे खेलों की हालत को भी मद्देनजर रखा जाएगा। इस बैठक के बाद अंतर रामट्रीय ओलंपिक कमेटी मान्यता का फैसला लिया जाएगा।
हॉकी के मौजूदा हालात के लिए दोषी माने जाने वाले गिल के साथ समर्थन में बंगाल हॉकी एसोसिएशन आ गया है। देखना यह है कि हॉकी हो या दूसरे खेल भारत को ओलंपिक में एक- एक पद के लिए तरसने वाले देश में खेल की चिंता करने वाले वास्तविक लोग भी सामने आएंगे या गिल या ऐसे ही दूसरे लोगों के हवाले खेल कर दिए जाते रहेंगे। व्यक्ति आधारित खेल संगठनों के कारण आज हमारी यह हालत है। दूसरे खेलों की बलि चढ़ाने वाले क्रिकेट को बीसीसीआई ने पैसे की मशीन बनाकर रख दिया है। क्या कभी इस बारे मे ंगिल या उनसे से कथित खेल के शुभचिंतक सोचेंगे? आप भी इस बारे में बताएं कि क्या गिल और बीसीसीआई के पदाधिकारी जैसे व्यक्ति खेलों का भला करने में लायक हैं?
- रवींद्र कैलासिया

1 टिप्पणी:

  1. चलिए अच्छा है..इसका मतलब बांकी खेलों का भी जल्दी ही बंटाधार होने वाला है..उन्हें कंचे खेलने, पतंग उडाने और लकडी से टायर चलाने वाले (हमारे बचपन के पसंदीदा ) खेलों की बागडोर कभी न दें....प्लीज..प्लीज..

    जवाब देंहटाएं

फ़ॉलोअर