बुधवार, 10 जून 2009

पार्ट टाइमर किसी भी काम से न्याय नहीं करते

जिस तरह विदेशों में पार्ट टाइम जॉब करने वालों से वहां के मूल निवासी परेशानी हैं कमोबेश वैसे ही हालात यहां हमारी धरती पर है। हालांकि विदेशों में जाने वाले लोगों के सामने पैसे का संकट रहता है और इसके लिए वहां जाने वाला कमोबेश हर व्यक्ति यह करता है। मगर यहां समाचार पत्रों के दफ्तरों में काम करने वाले पार्ट टाइमर अपने दूसरे गलत कामों पर पर्दा डालने के लिए ऐसा करते हैं। वे एक तो एक काम की तलाश में भटक रहे व्यक्ति के रोजगार को खाता है दूसरा वह अपने दोनों कामों के साथ इंसाफ नहीं करते।
आमतौर पर समाचार पत्रों के दफ्तर में ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जहां ऐसे लोगों की पैठ आसानी से बन जाती है। तथाकथित विशेषज्ञ के नाम पर इन्हें रख लिया जाता है और वे समाचार पत्र की आड़ में मूल कत्र्तव्य वाली जगह पर काम नहीं करते और प्रेस में तो जो उनकी मर्जी आती है वह करते ही हैं। मूल काम पर तो वे प्रेस के नाम पर जो करते हैं वह तो अपनी जगह है मगर इसके साथ समाचार पत्र के नाम उपयोग कर ये लोग दूसरे आर्थिक लाभ वाले काम भी खूब करते हैं।
समाचार पत्रों में कुछ संपादक इसके विरोधी होते हैं और वे ऐसे व्यक्तियों की छंटनी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाते भी हैं मगर इनकी पैठ ऐसी होती है कि वे आदेशों को बदलवा देते हैं। कुछ इसमें से इमानदारी से काम भी करते हैं मगर अधिकांश काम की जगह दुकानदारी और प्रेस का नाम ज्यादा उपयोग करते हैं। सही पत्रकार उनके जलवे देखकर जलता भुनता है।
कई बार ऐसे लोगों की समाचार पत्र में ऐसी पैठ हो जाती है कि वे हर छोटे बड़े आयोजनों में असरदार लोगों के ईर्द गिर्द नजर आते हैं। कई बार ऐसा भी होता कि इनके रोजगार की जगह दूसरे सही पत्रकार बलि चढ़ जाती है। कुछ ऐसे तत्व नि:शुल्क काम करने को तैयार हो जाते हैं। आखिर ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ करने के लिए पत्रकारों को प्रयास करने की आवश्यकता है। ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जिससे इनकी प्रवेश ही नहीं हो पाए।

- रवींद कैलासिया

2 टिप्‍पणियां:

  1. आप की पोस्ट हमारे जैसे 'पार्ट टाइम' ब्लॉगरों पर तो लागू नहीं होती न !

    बहुत मेहनत से अपनी बात कहने का एक रास्ता बनाया है। अब आप उस पर नज़र न लगाएँ।

    बढ़िया पोस्ट ।

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  2. jin mein risk lene ka zazba nhi ve glammer ka jlwa aur naam to chate hain lekin dikkton se door rhna chahte hain ke liye part time mje mje ki cheez hoti hai. no risk facror hi mool baat hai. kai sansthano ne fokt me kam krakar apni bachat ke gdit mein is prtha ko bdawa dia. mandi ke dor me ye vicharniy hai kisi ke paas teen teen kam aur kisi ke paas ek bhi nhi. sarkari nokron pe to ankush lgana chahiye hi kyonki ve baki dono jgh nyaya nhi krte

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