शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

लाचार शिवराज सिंह चौहान



मप्र सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बेहद लाचार नजर आते हैं। पहले तो मनमाफिक मंत्रिमंडल बनाने के लिए उनके हाथों को संगठन ने पीछे बांध दिया और अब उन्हें विभागों के बंटवारे में भी वैसा ही महसूस हो रहा है। अब वे किस से कहें अपने मन की बात किसी से कह भी नहीं पा रहे हैं।
प्रदेश सरकार में नौ मंत्रियों को शामिल कर शिवराज सिंह ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। एक मंत्री को पदोन्नत किया गया। नौ मंत्रियों में वे दागी मंत्री भी हैं जिन्हें सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से किसी न किसी एजेसी ने भ्रष्टाचार के आरोप में घेर रखा है। इनमें स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय विशनोई, नगरीय प्रशासन मंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा, वन मंत्री रहे विजय शाह जैसे नाम प्रमुख हैं। इन लोगों को मंत्री पद देने के बाद भी श्री चौहान आराम की नींद नहीं सो पाए हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब उन्हें विभाग बंटवारे में दबाव झेलना पड़ रहे हैं। नए मंत्रियों के दबाव नहीं बल्कि दबाव उनकी तरफ से आ रहे हैं जो सालों से मंत्री हैं। नाम के बड़े विभाग मिलने से दुखी मंत्रियों कैलाश विजयवर्गीय, अनूप मिश्रा, गोपाल भार्गव जैसे दमखम वाले नेता शामिल हैं। वहीं विभाग बंटवारे में बाबूलाल गौर, राघवजी जैसे नेताओं के विभाग परिवर्तन के लिए हाईकमान अनुमति नहीं देगा। अब श्री चौहान नई मंत्रियों को कौन से विभाग दे और पुराने मंत्रियों को किस तरह मनपंसद विभाग देकर खुश रखें यह चुनौती है। पुराने मंत्री हाईकमान में अच्छी खासी पैठ रखते हैं। वह भी इन मंत्रियों की बातों को खास तवज्जोह देता है।
आखिर ऐसे लाचार मुख्यमंत्री पर हम जैसे आम नागरिक को शायद दया आ जाए मगर उनके साथी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दया नहीं आती। जनता को सोचना चाहिए कि ऐसे लाचार मुख्यमंत्री से सवाल पूछे क्योंकि मंत्रिमंडल की अनिश्चितता का सरकार के कामकाज पर असर पडऩे लगा है।
- रवींद्र कैलासिया

1 टिप्पणी:

फ़ॉलोअर