रविवार, 23 अगस्त 2009

स्वास्थ्य मंत्री के पीए की बीमारी नहीं जांच पाए सरकारी डॉक्टर

मप्र में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का भगवान मालिक है। इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा के पीए आरपी मिश्रा के बुखार को डॉक्टर जांच नहीं पाए और उनका रविवार को निधन हो गया। श्री मिश्रा का निधन मलेरिया से होना बताया जा रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मप्र को देश में 10 श्रेष्ठ राज्यों में होने का दावा किया जाता है और फिर बुखार से स्वास्थ्य मंत्री के पीए का निधन हो जाना यहां की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है।
शायद इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रतिपक्ष के नेता जमुना देवी तक स्वयं या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के बीमार होने पर मप्र की स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री की पत्नी को जहां बुखार होने पर मुंबई ले जाया जाता है तो जमुना देवी का भी इसी तरह मुंबई में इलाज कराया जाता है।
प्रदेश का आम आदमी ऐसे में क्या करे? उसके पास तो मप्र के सरकारी चिकित्सकों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। महंगाई और गरीबी से वह लाचार है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खराब हालात के लिए सरकार दोषी है क्योंकि मेडिकल डिग्री करने के बाद उन्हें नौकरी देने के लिए सरकार के पास आकर्षक पैकेज नहीं है। निजी अस्पतालों के प्रबंधन उन्हें सरकारी नौकरी से दोगुना ज्यादा पैसे देते हैं और अपने यहां रख लेेते हैं। फिर निजी अस्पताल उनकी तनख्वाह की वसूली मरीजों के तगड़े बिलों से करते हैं। गरीब की पहुंच से ये दूर होते हैं।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर स्वास्थ्य मंत्री के पीए के निधन से तमाचा पड़ा है मगर सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनका इलाज तो मुंबई, दिल्ली, मद्रास, अहमदाबाद जैसे शहरों के बड़े-बड़े अस्पतालों में अच्छे से अच्छे डॉक्टर कर ही देते हैं।
- रवींद्र कैलासिया

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