सोमवार, 3 अगस्त 2009

कलयुग में राखी स्वयंवर, वाह मेरे महान भारत




रविवार की रात एनडीटीवी एमेजिन पर राखी का स्वयंवर देखकर ऐसा लगा कि सीता मैया ने इसे देख रही होंगी तो सोचेंगी कि अच्छा हुआ मैं धरती में समा गई। भगवान रामचंद्रजी भी इलेश परुजनवाला को देखकर इस कलयुग नौजवान पर तरस खा रहे होंगे। सोच रहे होंगे कि जिस स्वयंवर में महिला उसे पति मानकर कैमरे के सामने माला पहना रही है वह उसे केवल डेट के लिए यह सब कर रही है। यह हमारे धार्मिक भावना के साथ मजाक भी है। क्या अब केवल मनोरंजन के नाम पर भारतीय टीवी चेनलों के पास यही बचा है। इसकी अनुमति हमारे समाज देना उचित है?
सीता का स्वयंवर हमने भले ही देखा नहीं मगर उससे जिस तरह की भावनाएँ हमारे मन में हैं उसका इलेक्ट्रानिक मीडिया ने आर्थिक रूप दोहन किया है। यही नहीं नई पीढ़ी को स्वयंवर के मायने गलत बताने के प्रयास किए गए हैं। स्वयंवर का मतलब वे भी शायद अब यही लगाएंगे कि डेट के लिए किसी को पसंद कर लोग और स्वयंवर हो गया। कुछ दिन के मनोरंजन के लिए ऐसा स्वयंवर भारतीय संस्कृति को पश्चिमी तमाचे जैसा है। पश्चिम में न तो स्वयंवर होते न विवाह। हमारे यहां जो परंपराएं हैं उनका मजाक बनाया जा रहा है। हमारे यहां इलेक्ट्रानिकमनोरंजन चेनल रेटिंग के चक्कर में इसमें टूल बन रहे हैं।
- रवींद्र कैलासिया

3 टिप्‍पणियां:

  1. यह "सी" ग्रेड की छिछोरी और ढोंगी अभिनेत्री, फ़िर से कुछ दिनों बाद इसी सगाई को तोड़ते हुए, टसुए बहाते हुए किसी और चैनल पर दिखाई देगी (जो उसे ज्यादा पैसा देगा)। इस स्वयंवर का भाग-2 जल्द ही आता होगा…। भारत की मूर्ख जनता की नब्ज़ अच्छे से पकड़ ली है इन दो कौड़ी की औकात वाले चैनलों ने…

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  2. एक "नाचने वाली" ने,
    कलयुगी स्वयंवर की रीत चलाई है,
    जिसमें "राम" सीता का भाई है.

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