शनिवार, 11 जुलाई 2009

घर की मुर्गी अब दाल बराबर नहीं...

कहते हैं कि घर की मुर्गी दाल बराबर, लेकिन अब यह बिलकुल सही नहीं है। मुर्गी तो पहले जहां थी वहीं है लेकिन दाल आज आसमान छू चुकी है। मांसाहारी लोग पहले जहां एक टाइम दाल खाना पसंद करते थे वे अब एक टाइम मुर्गा खा रहे हैं।
आज दाल की कीमत 85 रुपए किलोग्राम है। एक महीने में इसकी कीमत में 30 रुपए का इजाफा हुआ है। वहीं मुर्गा 60 रुपए किलोग्राम के हिसाब से बाजार में बिक रहा है। शाकाहारी लोगों का दाल खाना अब बंद होता नजर आ रहा है क्योंकि तुअर दाल दूसरी दालों की तुलना में सबसे ज्यादा महंगी हो चुकी है। दूसरे दालें भी महंगी हुईं हैं लेकिन किसी भी दाल की कीमत 60 रुपए किलोग्राम से ज्यादा नहीं पहुंचा है। शाकाहारी व्यक्ति की थाली से दाल शायद अब गायब हो जाएगी। मगर मांसाहारी व्यक्ति के पास विकल्प जरूर है। वह तुअर दाल की जगह दूसरी दालों की कीमत में मुर्गा खा सकता है।
लोकसभा चुनाव के पहले जो महंगाई थी वह नई और स्थिर सरकार बनने के बाद भी लगातार बढ़ रही है। आखिर इस पर लगाम लगाने के उपाय सरकार के पास हैं भी या फिर गरीब की थाली से दिन ब दिन एक-एक सब्जी गायब होती जाएगी।
- रवींद्र कैलासिया

1 टिप्पणी:

  1. सही कहा आपने,
    आज मंहगाई बहुत ज़्यादा ही बढ़ गयी है,
    अब दाल के दाम मुर्गे से ज़्यादा मंहगें हो गये है.

    अब तो लोग कहेंगे की घर की दाल मुर्गी बराबर...

    सुंदर लेख......बधाई!!!

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