बुधवार, 24 जून 2009

समलैंगिक संबंधों पर पाटिल की सफाई...

पंचायत सचिव के साथ समलैंगिक संबंध स्थापित करने के आरोपों में फंसे मप्र कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल अब तमाम अधिकारियों और प्रेस के सामने सफाई देते फिर रहे हैं। अपने विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ आईएएस अफसर इंद्रनील दाणी से लेकर अपने साथ काम कर चुके राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से रूबरू मुलाकात कर वे सफाई दे रहे हैं। आमतौर पर समाचार पत्रों से दूर रहने वाले श्री पाटिल इन दिनों समाचार पत्रों में सफाई देने के लिए खुलकर बोल रहे हैं। दैनिक भास्कर को पूरे घटनाक्रम का ब्योरा दिया है।वे बताते हैं कि रात सवा नौ बजे बच्चे को डॉक्टर को दिखाने के बाद पत्नी और बच्चे को घर के लिए रवाना कर स्वयं आफिस में रुकने की बात कह रहे हैं। पंचायत सचिव को पंचायत के कुछ रिकार्ड के साथ रात को दफ्तर में बुलाया था और काम संतोषजनक नहीं पाने से उसके डांट लगाई। उसे बाहर जाने का कहकर वे शौच के लिए कक्ष के शौचालय में चले गए और जब बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई तो देखा पंचायत सचिव अद्र्धनग्न हालत में शोर मचा रहा था और मीडिया को पुकार रहा था। श्री पाटिल ने यह घटनाक्रम बताते हुए अपनी सफाई दी है। वहीं श्री पाटिल के साथ काम कर चुके अधिकारी घटना में दम होने की बातें कर रहे हैं तो वरिष्ठ अफसरान वास्तविकता पंचायत सचिव या श्री पाटिल को पता होने की बात कह कर कन्नी काट रहे हैं। मगर इस घटना ने पूरे प्रशासनिक हल्के को हिलाकर रख दिया है। इसको लेकर वैसे अभी तक आईएएस अधिकारी खुलकर सामने नहीं आए हैं लेकिन श्री पाटिल इसे उनके खिलाफ षडय़ंत्र बता रहे हैं। दूसरी तरफ इस घटना के प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई भी देने लगे हैं। हाल ही में दो दिन पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास के एक दफ्तर विकास आयुक्त कार्यालय में एक पेंशनर ने जब पेंशन प्रकरण का निराकरण नहीं होने पर कपड़े उतार हंगामा मचाया तो सचिव अनिल श्रीवास्तव इतने घबरा गए कि उन्होंने पेंशनर से मिलने से इनकार कर दिया। दबी जुबान से वे एक अधिकारी से बोले साहब वह कपड़े उतारकर खड़ा है। आप मिल लीजिए, अभी ज्ञानेश्वर पाटिल का मामला हुआ, मैं तो नहीं मिलूंगा। ये संकेत प्रशासनिक व्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकती है। राज्य शासन को पंचायत सचिव-आईएएस अधिकारी के मामले की जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच उसका खुलासा करना चाहिए जिससे दूसरे अधिकारी प्रशासनिक कंट्रोल के लिए निर्णय लेने में टालमटोल नहीं कर सकें।

- रवींद्र कैलासिया

1 टिप्पणी:

  1. अब तो लगता है सच जानने के लिए हरेक जगह कैमरे लगा देने चाहिए\ ताकि उसे देख कर सही बात जानी जा सके।यह भी संम्भव है कि ब्लेकमेलिंग के उद्देश्य से ऐसे कृत किए जा रहे हो।

    जवाब देंहटाएं

फ़ॉलोअर