रविवार, 31 मई 2009

मंत्री को प्रदेश तक बांधा कहां की राजनीति

नेता देश को कहां ले जाना चाहते हैं? यह सवाल नेताओं के रोजाना आने वाले अट-पटे बयानों से आम लोगों के मन में उभरते हैं। लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका निर्णायक रही मगर इन दलों ने अपनी जीत के बाद भी मानसिकता को उसी तरह सीमित कर रखा है। इसका एक उदाहरण तूणमूल कांग्रेस की नेता और केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी के बयान से लगाया जा सकता है। जुझारू नेता ममता बनर्जी ने अपने दल के नेताओं को मंत्री पद दिलाने के लिए मनमोहन सिंह पर जो दबाव बनाया वह किसी भी देशवासी से छिपा नहीं है। मगर मंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने पश्चिम बंगाल की लोगों का दिल जीतने के लिए जिस तरह का बयान दिया उससे उससे उनका राष्ट्र प्रेम कहीं नहीं झलकता। उन्होंने कहा दिया कि सप्ताह में पांच दिन उनकी पार्टी के केंद्रीय मंत्री पश्चिम बंगाल में रहेंगे। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद तो उन्हें स्वयं और अपने मंत्रियों को देश हित के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए। आखिर जब मंत्री पांच दिन पश्चिम बंगाल में रहेंगे तो क्या उनका मंत्रालय दिल्ली में केवल दो दिन काम करेगा। साथ ही क्या उनके मंत्रालय की गतिविधियां देश के दूसरे हिस्से में नहीं चलेंगी। मंत्रीजी क्या दूसरे राज्यों की चिंता छोड़ देंगे। है न यह नेताओं की देश का सत्यानाश करने की सोच।

- रवींद्र कैलासिया

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