
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रमुख केएस सुदर्शन ने पिछले दिनों भोपाल में सिख संगत के एक कार्यक्रम में एकबार फिर आग मंच से उगली लेकिन समाचार पत्रों में उनके भाषण के उन अंशों का कोई भी हिस्सा कहीं दिखाई नहीं दिया। सुदर्शनजी ने कहा कोई भी मनुष्य जन्म लेते समय हिंदू होता है। और उसे बाद में इसाई या मुसलमान बनाया जाता है।
श्री सुदर्शन ने ये विचार भोपाल के जिस कार्यक्रम में व्यक्त किए उनमें सिख, बौद्ध और कुछ अन्य धर्मों के संत मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जन्म के बाद इसाई धर्म में बपतिस्मा और मुसलमान की सुन्नत की जाती है। इसके बिना कोई भी इसाई, इसाई और न मुसलमान, मुसलमान नहीं। हिंदू धर्म का इतिहास हजारों साल पुराना है। आरएसएस के पूर्व प्रमुख के भाषण के इन अंशों का गूढ़ अर्थ है जिसको आम आदमी तक पहुंचाए जाना चाहिेए।
श्री सुदर्शन के इन विचारों से कई लोग सहमत होंगे मगर वे खुलकर सामने नहीं आते जैसे श्री सुदर्शन आए हैं। धर्म निरपेक्षता की आड़ में हम विद्वानों के विचारों को आम आदमी तक पहुंचाने में क्यों परहेज करते हैं? क्योंकि सिख संगत के कार्यक्रम में चंद लोग मौजूद थे और श्री सुदर्शन की उक्त बातों में छिपे गूढ़ अर्थ को उन तक पहुंचाए जाने की जरूरत है। इससे हिंदू धर्म को लेकर फैली भ्रांतियां दूर हो सकें। दूसरे धर्म के लोग भी इस तथ्य को जानकर कुछ समझने की कोशिश करते।
- रवींद्र कैलासिया
कौन पहुँचायेगा? सेकुलर मीडिया? जिसे संघ का नाम सुनते ही दस्त लग जाते हैं?
जवाब देंहटाएंसुरेश जी के कथन से सहमत्!
जवाब देंहटाएंजब तक मीडिया अपनी भूमिका का निर्वहण निष्पक्षता पूर्वक नहीं करता, तब भी कुछ नहीं होने वाला।।
अच्छा लेख्! आभार!!
सुदर्शन जी को नहीं मालूम तो क्या करें , मनुष्य जन्म से केवल सिख होता है किन्तु उस्तरा उसे हिन्दू या मुसलमान बनाता है ! ...एक और कुतर्क ?
जवाब देंहटाएंमनुष्य बस 'मनुष्य' ही जन्मता है।
जवाब देंहटाएंपैदा होते ही उसके अस्तित्त्व पर बन्धनों के ग्रहण लगने लगते हैं। ऐसी बातें सोचीं और कहीं न जाँय तो अच्छा हो।
प्रतिक्रिया में बेनामी का 'कुतर्क' देखिए। यह भिण्डरावाले का कथन था।
Sudarshan's logic? equals to Bhindranwale's logic?
जवाब देंहटाएं( Nice responce ,thanks Girijesh )