समाज में महिलाओं के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा छेड़छाड़ और उनके साथ जोर-जबरदस्ती के खिलाफ पुलिस की मूकदृष्टि से उसकी छवि सबसे ज्यादा खराब हुई है। भोपाल में एक घटना में पुलिस की तत्परता वाकई तारीफे काबिल है और समाज को ऐसी ही पुलिस चाहिए।
घटना भोपाल के अशोका गार्डन से मुख्य रेलवे स्टेशन जाने वाले रास्ते की है। यहां कुछ मनचले बाइक पर सवार होकर जा रहे थे। बारिश के कारण छाता लगाकर जा रही एक युवती से इन लोगों ने इस कदर छेड़छाड़ की कि उसे अपना रास्ता बदलना पड़ा। दैनिक भास्कर के एक फोटोग्राफर की नजर उस पर पड़ गई और उसने कैमरे में इन मनचलों की चार-पांच तस्वीरें उतार लीं। भला इस समाचार पत्र का कि उसने फोटोग्राफर की तस्वीरों को अखबार में जगह दे दी। समाचार पत्र में बाइक का नंबर भी था तो पुलिस ने तुरंत उसके मालिक का पता लगाया और दोनों मनचलों को पकड़ लिया। अब अगर ऐसी पुलिस समाज को मिल जाए तो कहना क्या? पुलिस ऐसी दो-चार कार्रवाई कर दे और उसका खासा प्रचार-प्रसार हो जाए तो असामाजिक तत्वों की मजाल कि वे राह चलती लड़की या किसी सार्वजनिक स्थान पर युवती को कुछ कह सकें। मगर इसमें समाचार पत्र को अपनी भूमिका का निर्वाह इस घटना जैसा करना होगा।
- रवींद्र कैलासिया
गुरुवार, 9 जुलाई 2009
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behtarin
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय!
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